जीवन परिचय : ठाकुर ध्यानपाल सिंह बी. ए.कोटला  रियासत आगरा —

जीवन परिचय : ठाकुर ध्यानपाल सिंह बी. ए.कोटला  रियासत आगरा —

 

ठाकुर ध्यानपालसिंह बी. ए. द्वारा की गई कॉलेज छात्रावास सेवा को सराहते हुये लिखा गया है — स्वर्गीय ठाकुर ध्यानपाल सिंह जी बी. ए. ने  जो वर्षों तक राजपूत हाईस्कूल आगरा की प्रबन्धकारिणी कमेटी के सेक्रेटरी रहे, अपने जीवनकाल में आगरा कालेजों में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की सहायतार्थ   एक छात्रालय किराये के मकान में  कायम किया था, जो कई वर्ष तक चलता रहे। ।तत्कालीन आगरा कालेजों में अध्ययनरत  राजपूत छात्रों ने ठाकुर ध्यानपाल सिंह के द्वारा  क्षत्रिय समाज को शिक्षित करने में किये गए योगदान की सह्रदय सराहना की थी जो तत्कालीन राजपूत समाचार पत्रों में भी छपे थे । इस निवेदन से ध्वनित होता है कि सन् 1923 में ठाकुर ध्यानपाल सिंह जी बी. ए. के निधन के साथ-साथ आगरा कॉलेजों के राजपूत छात्रों के लिये ‘कालेज छात्रावास व्यवस्था भी स्वर्ग सिधार गई ।

शिक्षा में आवास व्यवस्था सर्वोपरि है। शैक्षिक आवश्यकताओं के वरीयता क्रम में इसका प्रथम स्थान है। यह  समग्र शिक्षा विग्रह की प्राण है। इसके अभाव में शिक्षा का न त्राण है, न कल्याण है। इस शिक्षा मर्म को तत्कालीन छात्र समाज भली-भांति आत्मसात कर चुका था।

 सम्भवतः इस लिये कि इस व्यवस्था की उपादेयता को समझाने वाले ठाकुर उमराव सिंह जनवरी सन 1911 ई0 और उनके सुयोग्य उत्तराधिकारी एवं भ्रातृत कुँवर ध्यानपाल सिंह बी. ए. सन 1923 ई. में इस नश्वर संसार से प्रस्थान कर गये थे। ठाकुर ध्यानपाल सिंह करौली रियासत के महाराजा यदुकुल चन्द्रभाल श्रीमान भंवरपाल देव जी के समय में सन 1901-02 में करौली रियासत के दीवान भी रहे ।आज भी करौली में उनके नाम की “ध्यानपाल सिंह की कोठी”  मशहूर है जिसमें दूरसंचार विभाग का कार्यालय चल रहा है ।आप बलवन्त राजपूत कालेज के प्रबन्ध कमेटी के 1923 तक सचिव भी रहे थे।देश के अधिकांश रजवाड़ों में आप का सम्मान था।कश्मीर रियासत में भी आप का बहुत सम्मान था तथा एक विल्डिंग आप के नाम पर वहां भी थी। अंग्रेजी हुकूमत में आप के पिता ठाकुर नौनिहाल सिंह बलिया जिले के डिप्टी कलेक्टर थे।ठाकुर नौनिहाल सिंह जी की 6 फरवरी 1908 में बलिया में सरकारी दौरा करते समय घोड़े से गिर कर मृत्यु हो गई थी।ठाकुर ध्यानपाल सिंह की माता जी आगरा के जादों ठिकाने के हिन्दी गद्य के जन्मदाता राजा लक्ष्मण सिंह की पुत्री थीं जिनका नाम कान कंवर  था।ठाकुर ध्यानपाल सिंह साहिब के तीन पुत्र थे -तोषनपाल सिंह ,बुद्धपाल सिंह तथा चन्द्रपाल सिंह ।जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ,ठाकुर ध्यानपाल सिंह के भानिज थे।ठाकुर चन्द्रपाल सिंह एम 0 ए0 उस समय सवाई जयपुर राज्य में कौंसिल सेक्रेटरी असिस्टेंट तू होम मेम्बर के महत्वपूर्ण पद पर रहे थे।

लेखक. डा. धीरेन्द्र सिंह जादौन

गांव लढ़ोता , सासनी ,जिला हाथरस,उत्तरप्रदेश

प्राचार्य, राजकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय सवाईमाधोपुर,राजस्थान

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