बयाना के राजा विजयपाल के नाम पर रचित विजयपाल रासौ के कुछ पदों का ऐतिहासिक शोध

 

बयाना के राजा  विजयपाल  के नाम पर रचित  विजयपाल रासौ के कुछ पदों का ऐतिहासिक शोध —

 

बयाना के यदुवंशी  महाराजा  विजयपाल की दिग्विजयों  के ग्रन्थ “विजयपाल रासौ”के कुछ अमूल्य  पदों का वर्णन।

ब्रजभाषा का एक दूसरा ग्रंथ जो अर्वाचीन होते हुए माना जा रहा है वह है (1) विजयपाल  रासौ जिसका थोड़ा-सा अंश उपलब्ध हुआ है। इसमें इसके रचयिता नल्ल सिंह ने अपने को सिरोहिया शाखा का भाट और विजयगढ़  ( बयाना राज्य )के यदुवंशी  राजा विजयपाल का आश्रित कवि बतलाया है।

 

भये भट्ट  पृथु यज्ञ तैं ,  है सिरोहिया अल्ल । वृतेश्वर जदुवंस के , नल्ल पल्ल दल सल्ल। ।

 

कवि नल्ल सिंह यह भी लिखता है कि उसके आश्रयदाता महाराज विजयपाल ने उसे हिण्डौन नामक एक नगर, सात सौ गाँव और हाथी, घोड़े, ऊँट रत्नादि पुरस्कार में दिये थे:–

 

बीसा सौ  गजराज, बाजि सोहल सौ माते । दिये सातसौ  ग्राम , सहर हिंडौन सुदाते ॥ सुतर दिये द्वै सहस, रकम गिलमैं भरि अंबर। कंचन रत्न जड़ाव , बहुत दीने जु अडंबर ॥ कुल पूजित राव सिरोहिया,यादवपति निज      सम कियव ।

नृप विजयपाल जू विजयगढ़, साह ये जू सम्मपियव ॥ (2 )

 

विजयपाल रासौ में महाराज विजयपाल के राज्यारोहण एवं उनकी दिग्विजय का वर्णन है——

 

बैठतैं पाट विजयपाल वीर , अल्लीलखांन जीत्यो गहीर ।

इक लक्ष मीर दहवट्ट कीन ,रो राखि रिद्धि सब खोसि लीन ॥

साहाबदीन गजनी हंकारि , तत्तारखांन  को मान मारि ।

तेगन अमोरि तूरान तोरि, ईरान पेसकस लीन मारि ॥

बरछीनि मारि बडग्स उजारि, कंधार कोट सब दियो पारि ॥

काबिली किलगड़ी रोह जीति , राखिय नरेन्द्र हिंदवान रीति ॥

बलकी भुखार सब जेर कीन, खुरसान खोसि हबसान लीन ॥

आरबी  रूम लटियाल  कूटि , फिरंगांन देस दुइ बार लूटि ।।

लीनी स पेसकस अवर देस, राखियो धरम जादव नरेस ॥

पंचाल  देस वयराट मारि, अजमेर सोम को गर्व गारि ॥

मंडोवर परिहार डंडि, जोइया पारस खगनि खंडि ।।

 टौंवर अनंग दिल्ली सुमानि , थापियो थान सगपन्न जानि ।।

 ढूंढाहर हय खुरनि गाहि , पज्जूनि करत नित सेव चाहि ॥

 मेवात मुरस्थल मद्दी लीन, उतराध पंथ सब जेर कीन ।।

 इहिं तेज तपस विजयपाल राज,  जाहरान तेग जादव समाज ।। (3 )

 इस दिग्विजय  का समय नल्ल सिंह ने  1093 बलाया है (4) । ग्यारहवीं शताब्दी में बयाना में विजयपाल नाम के एक प्रतापी  यदुवंशी (जादौन) राजा हुए है जिनका बयाना के अतिरिक्त उसके निकटवर्ती क्षेत्र  अलवर, भरतपुर, धौलपुर, आदि अन्य राज्यों  के कुछ भागों पर भी अधिकार था ( 5)। परन्तु गजनी , ईरान ,काबुल, दिल्ली, अजमेर, ढूंढांड इत्यादि पर विजयपाल का एक-छत्र राज्य होने की जो बात नल्लसिंह ने कही है यह इतिहास-विरूद्ध अति- रंजना है। कहने की आवश्यकता नहीं कि सोमेश्वर, शहाबुद्दीन प्रभृति जिन ऐतिहासिक व्यक्तियों का नामोल्लेख नल्लसिंह ने ऊपर के पद्य में किया है वे विजयपाल के समकालीन ही नहीं थे। सोमेश्वर को मृत्यु सं 1236 (6) में  और शहाबुद्दीन की मृत्यु संवत 1263 (7) में हुई थी। अतः इतिहास के अनुसार विजयपाल के समय में और सोमेश्वर-शहाबुद्दीन  के समय में क्रमशः  143 । 170 वर्षों का अन्तर है। यदि रासौ का रचयिता नलसिंह महराज विजयपाल  का समकालजीवी  होता तो इस प्रकार की भूलों का होना असंभव था।

 विजयपाल रासौ की भाषा भी ग्यारहवीं शताब्दी की भाषा नहीं है। उस समय इस तरह की भाषा का चलन भारतवर्ष में कहीं था ही नहीं । इसकी भाषा और शैली दोनों पर बूंदी के सुप्रसिद्ध चारण कवि सूरजमल के वंशभास्कर’ (सं० 1897 ) का प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

वास्तव में यह ग्रंथ सं 1900 में अथवा इससे भी कुछ बाद में रचा गया है। पर प्राचीन बताने के लिये इसके रचयिता ने नल्लसिंह का कल्पित  परिचय इसमें जोड़ दिया है जिसका उससे ऊपर किया  जा चुका है।

 

उपरोक्त विवेचन से साफ है कि हिंदी साहित्य के विद्वान  ब्रजभाषा के जिन ग्रंथो को [सं०] [1550 से पूर्व का मान रहे है ये यथार्थ में सं० 1550 के पूर्व के नहीं है। वस्तुतः  ब्रजभाषा में साहित्य-सृजन का प्रारंभ सं० 1550 के बाद से हुआ है और राजस्थान के ब्रजभाषा के कवियों में पहला नाम भक्त शिरोमणि मीराँबाई का है।

 

सन्दर्भ–

 

1- मिश्रबन्धु ; मिश्रबन्धु विनोद (चतुर्थ संस्करण), भाग प्रथम, पृ० 150। रामकुमार वर्मा; हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास (द्वितीय संस्करण), पृष्ठ 252 ।

 

2-मुशी देवीप्रसाद ;  कविरत्नमाल , पृ० 23 ।

3- मुंशी देवीप्रसाद ;  कविरत्नमाला , पृष्ठ 25  ।

4- वही  ; पृष्ठ 24 ।

5-दि रूलिंग प्रिंसेज , चीफ्स एन्ड लीडिंग पर्स नेजेज इन राजपूताना एंड अजमेर ( छठा संस्करण ) , पृष्ठ 115 ।

6-कोशोत्सव स्मारक संग्रह , पृष्ठ 46 ।

7-वही , पृष्ठ 60 ।

 

लेखक – डॉ. धीरेन्द्र सिंह जादौन

गांव-लढोता, सासनी

जिला-हाथरस , उत्तरप्रदेश

प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय ,सवाईमाधोपुर ,राजस्थान ,322001

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