उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ के जादों क्षत्रियों का इतिहास

उत्तरप्रदेश के अलीगढ जिले के जादौन राजपूतों का ऐतिहासिक शोध । बयाना के राजा विजयपाल थे जिनके 18 बेटे हुए जिनमें तिमन पाल सबसे बड़े थे।जिन्होंने सन् 1058 के लगभग अपने नाम से एक दुर्ग बनवाया था जिसे तिमन गढ़ का दुर्ग कहते है।ये किला करौली की मासलपुर तहसील में है जो करौली से 40 […]

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एक स्वर्णिम झलक जादोंवाटी:बृजभूमि का राज्य करौली—

एक स्वर्णिम झलक  जादोंवाटी : ब्रजभूमि का  राज्य करौली ———— यदुकुल वंश प्रवर्तक महाराज वज्रनाभ एवं महाराजा जियेन्द्रपाल मथुरा ——– यदुकुल शिरोमणि भगवान श्री कृष्ण वासुदेव मथुरा से द्वारिका पुरी गये।श्रीकृष्ण जी के पुत्र प्रधुम्न जी के पुत्र अनुरुद्ध जी सभी द्वारिका में रहे।अनिरुद्ध जी  के पुत्र यदुकुल वंश प्रवर्तक  महाराज श्री वज्रनाभ जी  द्वारिका

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जदुवंश पुनःसंस्थापक श्री वज्रनाभ जी——

सूने ब्रज में प्रकाश पुंज बनकर आए थे यदुकुल के पुनःसंस्थापक एवं ब्रज के पुनः निर्माता श्रीकृष्ण के प्रपौत्र श्री वज्रनाभ जी ––––––– मुक्ति कहै गोपाल सों मेरी मुक्ति बताय । ब्रज रज उड़ि मस्तक लगै ,मुक्ति मुक्त है जाय ।। ब्रज की पावन पवित्र रज में मुक्ति भी मुक्त हो जाती है ।ऐसी महिमामयी

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ऐसे हुआ चंद्रवंश के जादवा/जदुकुल का विनाश–

ऐसे हुआ चंद्रवंशी क्षत्रियों के जादवा / जदु कुल का संहार—– ऋषियो के श्राप के कारण साम्ब के पेट से एक मूसल पैदा हुआ।राजा उग्रसेन नेउस लोहमेय मूसल काचूर्ण करा डाला और उसे समुद्र में फिकवा दीया।उससे वहा बहुत से सरकंडे उत्पन्न होगये।मूसल का एक भाले की नोंक के सामान पतला टुकड़ा चूर्ण करने से

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ऐसे हुआ जदुवंश का विनाश—-

— ऋषियो के श्राप के कारण साम्ब के पेट से एक मूसल पैदा हुआ।राजा उग्रसेन नेउस लोहमेय मूसल काचूर्ण करा डाला और उसे समुद्र में फिकवा दीया।उससे वहा बहुत से सरकंडे उत्पन्न होगये।मूसल का एक भाले की नोंक के सामान पतला टुकड़ा चूर्ण करने से बचा उसे भी समुन्द्र में फेक दीया।उसे एक मछली निगल

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ऐसे बनी गान्धारी के जदुवंश विनाश की पृष्ठभूमि–

ऐसे बनी गान्धारी के श्राप जदुवंश विनाश की पृष्ठभूमि —-— महाभारत युद्ध के बाद ऋषि विश्वामित्र और नारद मुनि अन्य ऋषिओं के साथ द्वारिका आये।कुछ यदुकुमारों ने उन ऋषिओं को महातीर्थ पिंडारक क्षेत्र में देखा।तब यौवन से उन्मात हुए उन राजकुमारों ने होनहार की प्रेरणा से जामवंती के पुत्र साम्ब का स्त्री वेश बनाकर उन

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श्री कृष्ण को यदुवंश विनाश का गान्धारी श्राप देते हुए–

वासुदेव श्री कृष्ण को यदुवंश विनाश का गांधारी श्राप देते हुए–– महाभारत युद्ध के बाद जब कौरवों का विनाश हो गया था तो गान्धारी बहुत ही कुपित हो चुकी थी । गान्धारी पतिव्रता एवं सत्यवादी थी ।उसने कभी भी पांडवों का बुरा नहीं चाहा लेकिन दुर्योधन के आगे गान्धारी की भी एक नहीं चली ।जब

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चन्द्र वंश में से यदुवंश की कैसे हुई उत्तपत्ति–

चन्द्रवंश में से यदुवंश की कैसे हुई उत्पती…… ब्रह्मा के पुत्र अत्रि थे।जिनकी पत्नी भद्रा से सोम या चन्द्रमा का जन्म हुआ।इस लिए ये वंश सोम या चंद्र वंश के नाम से जाना गया।अत्रि ऋषि से इस वंश की उत्पती हुई इस लिए इस वंश के वंशजों का गोत्र अत्री माना गया।तथा इस वंश के

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चन्द्रवंश में से यदुवंश की उत्तपत्ति(Birth of Yadu Vansh from LunarRace)

चन्द्रवंश में से यदुवंश की कैसे हुई उत्पती…… ब्रह्मा के पुत्र अत्रि थे।जिनकी पत्नी भद्रा से सोम या चन्द्रमा का जन्म हुआ।इस लिए ये वंश सोम या चंद्र वंश के नाम से जाना गया।अत्रि ऋषि से इस वंश की उत्पती हुई इस लिए इस वंश के वंशजों का गोत्र ।चंद्रमा ने वृहष्पति की पत्नी तारा

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चंद्रवंश की शाखा जदुवंशी/जादवा /जादों क्षत्रियों का वास्तविक इतिहास का शोध—-

       चंद्रवंशीय जदुवंशी /जादवा /जादों क्षत्रियों के वास्तविक इतिहास का शोधात्मक अध्ययन——        महाराज यदु ,वासुदेव ‘यदुकुल शिरोमणी भगवान् श्रीकृष्ण के वास्तविक वंशज जो कालान्तर में विभिन्न वंशों में विभाजित हो गये जिनमे प्रमुख  वंश निम्नप्रकार है।जादौन ,जडेजा ,भाटी ,जादव , वनाफर ,चूड़समा ,सरवैया ,रायजादा ,छौंकर ,वडेसरी ,जसावत ,जैसवार ,सोहा ,मुड़ेचा ,पोर्च ,सैनी

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